Friday 15 August 2014

POETRY COLLECTION YOGESH KUMAR YADUVANSHI

तेरे लब की लाली तू करदे मेरे नाम
तेरे चाहने वालों में मेरा भी हो नाम
तेरी चाहत में हाये कब आयेगा वो मुक़ाम
जब दिलों ज़ुबां पर होगा बस तेरा ही नाम
छा जायेगी एक खुमारी
दिल में होगी कुछ बेक़रारी
मिला करेंगे हम छुप छुपके
कभी रोज़ और कभी रुक रुक के
बस तेरी ही चाहत में हो जायेंगे बदनाम
चाहे कुछ भी कहो ये इश्क़ नहीं है आसान

खामोशी में सहमी हुई मुस्कान दे सकता हूँ मैं
रातों की परछाइयों का साया दे सकता हूँ मैं
बिखर तो गया हूँ आज तेरे जाने से मैं
कुछ पल के लिये ही सही, तुझे तेरी ज़िंदगी वापस दे सकता हूँ मैं

जब हम रोये तुम्हें याद करके
तब पलकों में सिर्फ आंसू थे
कुछ टूटे एहसास थे
और पलकों में सिर्फ आंसू थे
ना कोई पास था सिर्फ ग़मों का एहसास था
और पलकों में सिर्फ आंसू थे
समय की धारा में बहते गये
आँखों में नमी को सहते गये
और हर पल पलकों में सिर्फ आंसू थे
ख्वाब कुछ नये भी सजाये हमने
पलकों में पर खुशी कहीं नहीं
पलकों में सिर्फ आंसू थे
बंद करी जब पलकें तो इंतज़ार था
और तेरे प्यार के
इन पलकों में सिर्फ आंसू थे



No comments:

Post a Comment