Saturday 9 August 2014

सब जगह तू नहीं तो तेरा नाम है

सब जगह तू नहीं तो तेरा नाम है
क्या कहें तेरा आशिक क्यों बदनाम है
दिल से निकलती है तेरे लिए सिर्फ दुआ
तू क्या जाने तूने दिल को  कैसे है छुआ
अब तो तेरे प्यार में है जीना सिर्फ जीना
ये आशिकी का जाम हमने भी पीना
तू आजाये अगर महफ़िल में तो है बहार
वरना फूलों की बहार भी है बेकार
और क्या कहूँ तेरी तारीफ में ज़ालिम
कैसे करता है तू बिना खंज़र के क़त्ल--रहम

No comments:

Post a Comment