सब जगह तू नहीं तो तेरा नाम है
क्या कहें तेरा आशिक क्यों बदनाम है
दिल से निकलती है तेरे लिए सिर्फ दुआ
तू क्या जाने तूने दिल को कैसे है छुआ
अब तो तेरे प्यार में है जीना सिर्फ जीना
ये आशिकी का जाम हमने भी पीना
तू आजाये अगर महफ़िल में तो है बहार
वरना फूलों की बहार भी है बेकार
और क्या कहूँ तेरी तारीफ में ओ ज़ालिम
कैसे करता है तू बिना खंज़र के क़त्ल-ऐ-रहम
क्या कहें तेरा आशिक क्यों बदनाम है
दिल से निकलती है तेरे लिए सिर्फ दुआ
तू क्या जाने तूने दिल को कैसे है छुआ
अब तो तेरे प्यार में है जीना सिर्फ जीना
ये आशिकी का जाम हमने भी पीना
तू आजाये अगर महफ़िल में तो है बहार
वरना फूलों की बहार भी है बेकार
और क्या कहूँ तेरी तारीफ में ओ ज़ालिम
कैसे करता है तू बिना खंज़र के क़त्ल-ऐ-रहम
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