Saturday 9 August 2014

दिल के ख्वाब


ये दिल कितना पागल है हर पल तेरे ही ख्वाब ये बुनता है
रहता है मेरे सीने में धड़कन पर तेरी ही सुनता है
कभी अकेले में हंसता है
कभी सामने रखी तेरी तस्वीर से हज़ारों बातें करता है
ये दिल को ना जाने क्या हो गया है
कभी गुदगुदाके तेरे खयालों को याद दिलाता है
कभी सटा के तुझको छेड़ता है
कभी प्यार से मनाके गले लगता है
ये दिल को ना जाने क्या हो गया है
कभी ख्वाहिशों के महल बनता है
रहता है उसमें तेरे साथ प्यार के हज़ारो गीत वो दीवाना दिल तेरे लिये गाता है
ये दिल जैसा भी है नटखट है शैतान है
तेरा है तुझसे प्यार करता है

ये दिल कितना पागल है हर पल तेरे ही ख्वाब ये बुनता है

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