Monday 9 February 2015

पंक्तियां योगेश कुमार यदुवंशी-I

(1)इश्क वो खेल नही दोस्तो
जिसे छोटे दिल वाले खैले....
रूह तक काँप जाती है
सदमे सहते-सहते ...!!

(2)कमजोर पड गया है मुझसे तुम्हारा ताल्लूक
या फिर कही और रिश्ते मजबूत हो गये..!!

(3)इतनी सिददत से भी ना चाहना किसी इंशान को
गहराई मे जाने वाले अकसर डूब जाया करते है..!!

(4)सब छोड रहे है मुझे अपना बनाकर
ऐ जिन्दगी तु किस इंतजार मे है
जा तुझे भी इजाजत है ...!!

(5)मेरी हालत देखकर मोहब्बत भी शर्मिन्दा है
ये सख्स जो सब कुछ गवाँ चुका आज भी जिन्दा है..!!

(6)किसी ने मुझसे पूछा के तुम बुझे-बुझे से क्यो रहते हो
मैने मुस्कुरा के कहा-
अगर जलता रहता तो कब का खाक हो चुका होता..!!

(7)सब कुछ लुटा दिया तेरे इश्क मे "मोहसिन"
कमबख्त एक अश्क ही है जो खत्म नही होते...!!

(8)वो अश्क बनकर मेरी चश्म-ए-तर मे रहता है
अजीब सख्स है जो पानी के घर मे रहता है...!!

(9)बरबादियो का जायजा लेने के वास्ते
वो पूछ लेता था मेरा हाल कभी-कभी.....!!

(10)मेरे जैसा इस जमाने मे कोई रहता भी हो
जो खुद ही अपने हाल पे "हँसता" भी हो "रोता" भी हो..!!

पंक्तियां योगेश कुमार यदुवंशी-2


(1)तुझ से मोहब्बत तेरी औकात से बढ कर की थी
अब नफरत की बारी है तो सोंच तेरा क्या होगा...!!

(2)जब हम नही होंगे तो वफा कौन करेगा
ये हक मोहब्बत का अदा कौन करेगा...!!
या रब मेरे दुश्मन को रखना तु सलामत
वरना मेरे लिए मरने के दुआ कौन करेगा...!!

(3)कितनी झूठी है मोहब्बत की कसमे
देखो ना तुम भी जिन्दा हो मै भी जिन्दा हुँ... !!

(4)कोई नही आया है तेरे बाद मेरी जिन्दगी मे
मगर एक मौत ही है जिसका मै वादा नही करता...!!

(5)मगन था मै सब्जी मे नुक्स निकालने मे
और कोई खुदा से सूखी रोटी के लिए शुक्र मना रहा था...!!

(6)मुझे मालूम था के तुम मेरे हो नही सकते
मगर देखो मुझे फिर भी मोहब्बत हो गयी तुमसे....!!

(7)वो हमसे कहते है कि बदल गये हो तुम
उनसे जाकर कह दो
के टूटे पत्तो के रंग अकसर बदल ही जाते है..!!

(8)जबसे मुझे ये यकीन हो गया
के ऊपर वाला मेरे साथ है
मैने इस बात की परवाह करना छोड दिया
के कौन-कौन मेरे खिलाफ है ।।

(9)कभी मुस्कुराती आँखें भी कर देती हैं कई दर्द बयां,
हर बात को रोकर ही बताना जरूरी तो नहीं ......!!

(10)जिन राहो पे एक उमर तेरे साथ चला हुँ
अरसा हुआ वो रास्ते सुनसान बहुत है....!!
मिल जाओ कभी लौट के फिर आऊँ शायद
कमजोर हुँ मै राह मे तुफान बहुत है....!!
एक तुम ही नही मेरी जुदाई से परेशान
हम भी तो तेरी चाह मे विरान बहत है....!!
इस तर्क-ए-वफा पे मै उसे कैसे भुला दुँ
मुझ पर उस सख्स के अहसान बहुत है....!!
भर आऐ ना आँखे तो मै एक बात बताऊँ
अब दुनिया से जुदा होने के मेरे अरमान बहुत है...!!

(11)महोब्बत के रिश्तों के ये धागे कितने कच्चे हैं,
हम को अकेला ही रहने दो हम अकेले ही अच्छे हैं ||

(12)हादसे इंसान के संग, मसखरी करने लगे
लफ़्ज़ क़ागज़ पर उतर, जादूगरी करने लगे....
क़ामयाबी जिसने पाई, उनके घर तो बस गये
जिनके दिल टूटे वो आशिक़, शायरी करने लगे....!!

(13)अगर फुर्सत के लम्हों में मुझे याद करते
हो तो अब मत करना,
क्योंकि मैं तन्हा जरूर हूँ मगर 'फ़िज़ूल'
बिल्कुल नहीं...!!

(14)वो हैरान है मैरे सब्र पर तो कह दो उसे......
जो आँसू दामन पर नही गिरते
वो दिल मे गिरा करते है...!!!

(15)बात मुक्कदर पे आकर रूक गयी है वरना....
कोई कसर तो ना छोडी थी तुझे चाहने मे....!!!

(16)मै कोशिश तो बहुत करता हुँ उसको जान लूं.....
लेकिन वो मिलने पर बड़ी कारीगरी से बात करता है ।

(17)अब उसे न सोचू तो जिस्म टूटने लगता है.......
एक वक़्त गुजरा है
उसके नाम का नशा करते~करते...!!


पंक्तियां योगेश कुमार यदुवंशी-3
1.हम थे तुम थे दर्मिया थी मोहब्ब्त क्या हसीन दौर था ...
ये वक्त कुछ और है खु्दा कसम वो वक्त कुछ और था !!!!




2.ज़िन्दगी अब बाज़ आ, मुझे सोने दे सकून से ।
तेरी ठोकरें मेरी क़ब्र की, मिट्टी ले जा रही हैं ।।


3.वहशत सी होने लगी है इस सफ़र से अब ।
ज़िन्दगी कहीं तो पहुँचा दे ख़त्म होने से पहले ।।


4.ठिठुरती ठंड में फुठपाथ पर कुछ ग़रीब मर गये ।
सरकार सच कहती है, ग़रीबी कम हो रही है मुल्क में ।।
5.एक उम्र.. जो तेरे बग़ैर गुज़ार आया हूँ ।
यूँ लगता है.. एक उम्र हार आया हूँ ।।


6.इतना भी गुमान न कर आपनी जीत पर ऐ बेखबर, शहर में तेरे जीत से ज्यादा चर्चे तो मेरी हार के हैं..!!


7.मेरे अपने सपने सपनो से लहर हो गये,


इक पल मे उठे इक पल मे ढेर हो गये,,
अपनो को छोड गेरोँ के साथ गेर हो गये,
मेरे अपने अल्फाज हि अब जहर हो गये,,
जिन्दगी थे यादोँ के वो पल कभी
वो पल ही जिन्दगी के लिए कहर हो गये,


8.तू जो चाहे तो मुझे फिर आजमा कर देख ले ,
फिर बना दे और चाहे फिर मिटा कर देख ले ।
आज भी बहता है मेरे दिल में दरिया आग का
तू जो चाहे तो मुझे सीने से लगा कर देख ले ।
ये वहम न कर कि तूने तोड डाला है मुझे,
अब न बिखरूँगा फलक से गिरा कर देख ले ।
नादाँ था तो बह गया था तेरे अश्कों में कभी,
अब न डूबुँगा तू चाहे सैलाब ला कर देख ले।
कतरा कतरा तेजाब सा आँखों से मैं ने पिया ,
अब न रोऊँगा कभी चाहे रुला कर देख ले।।


9.जो मिला था कल वो आज छूट गया
कमजोर रहा होगा कि रिश्ता टूट गया।
कुछ हमें न आया सलीका निभाने का
कुछ रूठना था रब तो लो रूठ गया।।


10.बडी शिद्दत से तलाशता हूँ, मगर आसमा में कोई शजर नहीं मिलता।
वही चेहरे वही लोग भी हैं , मगर मुझे कहीं मेरा शहर नहीं मिलता।
बेइंतहा हैं इमारतें बडी बडी, मगर मेरा वो छोटा सा घर नही मिलता।
थक गया हूँ परिन्दे सा उडते ,खत्म हो जाए ऐसा सफर नहीं मिलता।।


11.तुम्हारे पास न था कुछ हार जाने के लिए।
बस जिंदगी ही थी साथ गुजार पाने के लिए।
उम्र के उस दरिया से तुम जो पार आए हो।
उस उम्र को नहीं मुझे ही तुम हार आए हो।।

Saturday 7 February 2015

पंक्तियां योगेश कुमार यदुवंशी

(1)तुझ से मोहब्बत तेरी औकात से बढ कर की थी
अब नफरत की बारी है तो सोंच तेरा क्या होगा...!!

(2)जब हम नही होंगे तो वफा कौन करेगा
ये हक मोहब्बत का अदा कौन करेगा...!!
या रब मेरे दुश्मन को रखना तु सलामत
वरना मेरे लिए मरने के दुआ कौन करेगा...!!

(3)कितनी झूठी है मोहब्बत की कसमे
देखो ना तुम भी जिन्दा हो मै भी जिन्दा हुँ... !!

(4)कोई नही आया है तेरे बाद मेरी जिन्दगी मे
मगर एक मौत ही है जिसका मै वादा नही करता...!!

(5)मगन था मै सब्जी मे नुक्स निकालने मे
और कोई खुदा से सूखी रोटी के लिए शुक्र मना रहा था...!!

(6)मुझे मालूम था के तुम मेरे हो नही सकते
मगर देखो मुझे फिर भी मोहब्बत हो गयी तुमसे....!!

(7)वो हमसे कहते है कि बदल गये हो तुम
उनसे जाकर कह दो
के टूटे पत्तो के रंग अकसर बदल ही जाते है..!!

(8)जबसे मुझे ये यकीन हो गया
के ऊपर वाला मेरे साथ है
मैने इस बात की परवाह करना छोड दिया
के कौन-कौन मेरे खिलाफ है ।।

(9)कभी मुस्कुराती आँखें भी कर देती हैं कई दर्द बयां,
हर बात को रोकर ही बताना जरूरी तो नहीं ......!!

(10)जिन राहो पे एक उमर तेरे साथ चला हुँ
अरसा हुआ वो रास्ते सुनसान बहुत है....!!
मिल जाओ कभी लौट के फिर आऊँ शायद
कमजोर हुँ मै राह मे तुफान बहुत है....!!
एक तुम ही नही मेरी जुदाई से परेशान
हम भी तो तेरी चाह मे विरान बहत है....!!
इस तर्क-ए-वफा पे मै उसे कैसे भुला दुँ
मुझ पर उस सख्स के अहसान बहुत है....!!
भर आऐ ना आँखे तो मै एक बात बताऊँ
अब दुनिया से जुदा होने के मेरे अरमान बहुत है...!!

(11)महोब्बत के रिश्तों के ये धागे कितने कच्चे हैं,
हम को अकेला ही रहने दो हम अकेले ही अच्छे हैं ||

(12)हादसे इंसान के संग, मसखरी करने लगे
लफ़्ज़ क़ागज़ पर उतर, जादूगरी करने लगे....
क़ामयाबी जिसने पाई, उनके घर तो बस गये
जिनके दिल टूटे वो आशिक़, शायरी करने लगे....!!

(13)अगर फुर्सत के लम्हों में मुझे याद करते
हो तो अब मत करना,
क्योंकि मैं तन्हा जरूर हूँ मगर 'फ़िज़ूल'
बिल्कुल नहीं...!!

(14)वो हैरान है मैरे सब्र पर तो कह दो उसे......
जो आँसू दामन पर नही गिरते
वो दिल मे गिरा करते है...!!!

(15)बात मुक्कदर पे आकर रूक गयी है वरना....
कोई कसर तो ना छोडी थी तुझे चाहने मे....!!!

(16)मै कोशिश तो बहुत करता हुँ उसको जान लूं.....
लेकिन वो मिलने पर बड़ी कारीगरी से बात करता है ।

(17)अब उसे न सोचू तो जिस्म टूटने लगता है.......
एक वक़्त गुजरा है
उसके नाम का नशा करते~करते...!!


Monday 2 February 2015

पंक्तियां

. जिंदगी की बाजी में जीत उसी के गले का 
हार बनती है जिसको हंसते हंसते हार को 
गले लगाने का हूनर आता हो |

तुमने स्पर्श किया 

......................
.......................
मेरी रुह को 
तब 
जब
तेरे और मेरे जिस्म में था
कई गज का फासला
आज भी
उस पल की यादें है जेहन में
मानो
कल की
ही हो बात
बीत गये कई जमाने
पर
मैं जी रही हूँ
आज भी
उन्हीं पलों के
इर्द गिर्द
जब
..................
...................
तुमने मुझे स्पर्श किया



कौन कहता है ? 
खामोशी खामोश रहती है 
मैंने देखा है -
सागर के भीतर से 
सुनामी आते हुए .....


कौन कहता है ? 
कसूरवार को ही सजा मिलती है .....
मैंने देखा है 
गेंहु के साथ 
अक्सर घुन को पिसते हुए .

मैं
भूल चूकी हूँ सुख में हँसना 

और
दुख में रोना
भूल चूकी हूँ
रात में सोना
और
दिन में जगना
भूल चूकी हूँ
बच्चों की तरह मचलना
और बड़ों का बड़प्पन
भूल चूकी हूँ
शब्दों को जज्बात देना
और
मौन को आकार देना
भूल चूकी हूँ
अपनों पर विश्वास करना
और
सपनों का अहसास करना
................
.................
सोचते तो होंगे तुम
...............
................
किंतु
मेरी रोजमर्रा की आम जिंदगी
देख तुम हो रहे होंगे
..............
..............
आहत
.......................
........................
" मेरे दिये
दर्द के पहाड़ को
सीने पर ढोकर भी
है
यह
बनी हुई है क्यों अब तक
फौलाद ??????? "
...............
................
अब सोचते तो होंगे तुम ....

कौन कहता है ? 
वो बस मुस्कराती है ...
मैंने देखा है - 
भोर में 
उसके भीगे तकीये को 

सिर जहाँ झुक जाए वो है रब का रुप ,
इसमें भला इबादत की बात क्या ?
बचपन का दूजा नाम है शैतानी
इसमें भला शरारत की बात क्या ?
मदद करना है इंसा की ही पहचान ,
इसमें भला शराफत की बात क्या ?
प्रकृति के साथ खिलवाड़ का मिलेगा खामियाजा ,
इसमें भला कयामत की बात क्या ?
तेरा ही है दिल मेरा वर्षों से सहेजा ,
इसमें भला अमानत की बात क्या ?
तू ले जा आके मुझको मैं तो हूँ बस तुम्हारी
भला इसमें अब इजाजत की बात क्या ?

करके खुद को खाली जिन्होंने भरी हमारी झोली
दे दी हमें आजादी खाकर सीने पर गोली
उन मतवालों को है आज शत शत वंदन मेरा
हमें रंगीन बनाने जिन्होंने खेली खून की होली ||
आज मगर इन मतवालों के मोती धूल में बदले
फूल बिछाए जो राहों में वो अब शूल में बदले
कनकलता देवान के त्याग को क्यों हम भूले बैठे हैं
आतंक की लपटों में जलकर भी क्यों यूं हम ऐठे हैं
गांधी पटेल सुभाष का भारत कहाँ गया अब बोलो ना
कब तक यूं ही खून बहेगा अब तो तुम मुंह खोलो ना
एक देश के वाशिंदे हम एक हमारी भारत माँ
किन्तु देख हमारी हालत अश्क बहाती हिन्द की माँ
भाई का भाई से झगडा अस्मत लूटती बहनों की
बोझ लग रहे जनक औ जननी कीमत रह गई गहनों की
सत्य अहिंसा प्रेम की भाषा धर्म हमें है सिखलाते
किन्तु इसी के नाम पर कुछ कहर सभी पर बरपाते
कहर बहते संतानों का खुद उसी के नाम पर
डर और आतंक के पहरे कोई कैसे जाए काम पर
आतंकवाद की ये आंधी अब कितने चिराग बुझाएगी
बनना शोलो की ज्वाला जो आंधी में टिक पाएगी
देश द्रोह के इन पौधों को समूल नष्ट करना होगा
देश प्रेम की सुमन सुगंध को हर दिल में भरना होगा
राजस्थानी , बंगाली ना आसामी हमें कहना ( बनना ) है
भारत के रहने वाले हम हमें भारतीय ही बनना है
आओ हम सब मिलकर के अब आतंकवाद हटायेंगे
हिन्द देश की माटी को फिर प्रेम से मह्कायेंगे ||

काश देश द्रोह की बिमारी जा पाए
काश देश प्रेम की खुमारी आ जाये
शहीदों को होगी फिर ये सच्ची श्रद्धाजली
काश अमन की यहाँ सुनामी आ जाये

कौन कहता है ?
जख्मों से बचने को 
छुरी सम्भलकर चलाने को 
मैंने देखा है - 
शब्दों के तीरों को 
दिल को
छलनी करते हुए ..

कौन कहता है ?
याद रखना मुश्किल होता है ..
मैंने देखा है -
दिल को 
उसको 
भुलाने में
रोते हुए ......

कौन कहता है ? 
बच्चे नादान होते हैं .....
मैंने देखा है -
बड़ों के झगड़ों को 
बच्चों को 
सुलझाते हुए ...

बिन कहे शब्द सुने हैं कभी
बिन धागे लिबास बुने हैं कभी
बिन लिखी दास्ताँ पढ़ी है कभी
बिन माटी मूरत गढ़ी है कभी
बिन बहे आंसू देखे हैं कभी 
बिन कंकड़ झील में तूफ़ान देखे हैं कभी
उपरोक्त के मायने समझ आयेंगे पल में
गर माँ की ममता की सरिता में गोता लगाया है कभी ||

कैसे कह दूँ ???
तुमसे प्रेम मैं करती हूँ
कैसे कह दूँ ?
मैँ आज भी तुम पे मरती हूँ
कैसे कह दूँ ?
तुम बिन जीना मौत से भारी
पर हर पल जीने की तैयारी
कैसे कह दूँ ?
मम अँखियों में तेरी सूरत
इस दिल को है तेरी जरुरत
कैसे कह दूँ ?
मंजिल तुम हो
मैं हूँ जिंदा , वजह भी तुम हो
तुम क्या हो मेरे , मैं क्या हूँ तुम्हारी ?
ये बातें रह गई अब आपस की हमारी
तेरी मेरी अब राहें अलग है
नजदीकी में दूरी बहुत है
कैसे पर ये खुद को कह दूँ
तुम ही बोलो ......
कैसे कह दूँ ........????

कैसे बताऊ ?
कैसे हो तुम
ऐसे हो या वैसे हो ?
बहती दरिया जैसे हो
खिलते फूल सा रूप तुम्हारा
या फिर पूनम सा रूप सँवारा
उगते सूरज की हो लाली
या हो दीपों की दिवाली
ढ़लते रवि की हो सुंदरता
या हो समीर की चंचलता
पर
तुम तो शायद ऐसे ना हो
और शायद वैसे भी ना हो
अँखियों के आगे आते तुम
पर पल में ओझल होते तुम
मानो की तुम हो ओस की बूँद
मानो की तुम हो शबनम की बूँद ....


जब जहाँ में कोई गम सताये तुम्हें
इस जँहा में जब कोई रुलाए तुम्हें
मेरे घर की राहें खुली ही मिलेगी ,
अपने ही जब कभी भुलाए तुम्हें |
मेरे मैदान में तेरा स्वागत है दोस्त
जिंदगी की बाजी जब हराए तुम्हें
मेरी खुशियों पे तेरा हक है सदा
तेरी खुशियाँ ही जब चिढ़ाए तुम्हें
मेरे दिल की दुआओं में तुम हो बसे
यह जँहा जब दुआओं से भगाए तुम्हें |

मुहब्बत है मुहब्बत में भला अपना पराया क्या
अभी करलो अभी जी लो भला नकदी बकाया क्या
कि इस अहसास को जी कर जरा तुम नैन तो खोलो
सजन की कैद में आ कर भला पकड़ा छुडा़या क्या