Wednesday 20 August 2014

कविता सा कोई अपना


अंजानी सी है वो,
कोई हकीकत या कोई सपना,
है प्यारी सी ग़ज़ल वो,
या कविता सा कोई अपना,
गीत है दिलों का,
या चांदनी से सजी कोई रात,
वो मुस्कुराहट है चहरे की
या भीगी हुई बारिश का साथ,
प्यार से सजा कोई गीत है
या दो दिलों के मिलने का अंदाज़,
रंग है वो खुशियों का
या सुरों से सजा कोई साज़,
संगेमरमर सी है काया जिसकी
है बेपनाह खूबसूरती से सजा ताज,
तस्वीर है किसी कलाकर की
या कल्पना का कोई ख्वाब,
आँखें हैं गहरी झील सी
या ठहरे हुए जज़्बात,
ज़ुल्फ़ों में सजे हैं सितारे हज़ार
या जादू चला है हुस्न का बेशुमार
अंजानी सी है वो
या कविता जैसा खूबसूरत एहसास कोई अपना.


मेरा यार


उनकी आँखों में सजे काजल के दीवाने हो गये
उनकी प्यार भरी मुस्कुराहट के घायल हो गये
बन के जो मिले थे अजनबी उनकी अदा के दीवाने हो गये
नींद चुरा ली आँखों की,ख्वाबों में शामिल हो गये
जो थे बेगाने किसी पल आज वो दिल से अपने हो गये
करने लगे बातें तन्हाई में,दीवाने से हो गये
रखा जब उन्होने हाथ हमारे दिल पे धड़कन को भी चुरा ले गये
कुछ ग़ज़लें लिखने लगे,कुछ कवितायें भी बन गयी
देख के उनकी खूबसूरती प्यार भरी नज़्में भी कुछ बन गयी
वो मुस्कुराये इस कदर की ये फिज़ायें भी उनसे जल गयी
मेरा यार मेरा प्यार है खूबसूरत बेपनाह इतना
कि मेरी नज़रें भी उनकी खूबसूरती पे थम गयी



मुस्कुराने की वजह

मुस्कुराने की वजह तेरी आँखों में तलाश करते हैं
अजनबी हम तुम्हें कितना प्यार करते हैं
देखा नहीं तुझे कभी पर खाबों के रंगों से तेरी तस्वीर बनाया करते हैं,
तेरी प्यार भरी खूबसूरत तस्वीर को खाबों में ही सही हकीकत बनाया करते हैं,
मुस्कुराने की वजह तेरी आँखों में तलाश करते हैं,
अजनबी जब भी चलें कभी ज़िंदगी की हर राह पे तेरा इंतज़ार करते हैं
देखी कभी ना कोई राह, ना कभी चले प्यार की राहों पे तेरे बिना,
जो प्यार से थाम ले मेरा हाथ किसी राह पे उस अजनबी के आने का इंतज़ार करते हैं,
मुस्कुराने की वजह तेरी आँखों में तलाश करते हैं,
अजनबी जब थामता है तू मेरा हाथ धड़कन को थामा करता है
लगता है प्यार से मेरे गले रूह तक उतर जाया करता है
भूल जाता हूँ खुद को, तेरे प्यार में खो जाता हूँ
देखता रहता हूँ बस तेरी आँखों में
मुस्कुराने की वजह तेरी आँखों में तलाश करता हूँ



क्यों?


क्यों इतना दर्द सहना पड़ता है?
क्यों रास्ते पर चलो तो कोई छेड़ देता है?
घर पर बैठो तो पति हाथ मरोड़ देता है,
किस से बताऊँ मैं अपना दर्द,
अपने तो सपने से लगते है,
कभी हाथ उठाते है,
कभी शब्दों से ही मार देते है,
क्यों इतना दर्द सहना पड़ता है?
देखा था मैने भी एक सपना,
बसा बसाया घर था मेरा अपना,
प्यार के अलावा और कुछ ना था,
ना दुख ना दर्द और ना ही आंसू थे,
खुशियों से भरा मेरा संसार क्यों बिखेर दिया उन ज़ालिमों ने?
क्यों झूठे वादे किये तूने?
क्यों झूठे सपने दिखाये तूने?
क्यों झूठी कसमे खाई तूने?
जब छोड़ के ही जाना था मुझे
तो अपना बनाया ही क्यों तूने?
कोई आए और ले जाये मुझे,
खुल के जीना चाहती हूँ मैं,
आसमान में उड़ना चाहती हूँ मैं,
लहरों में तैरना चाहती हूँ मैं,
सपनों को उड़ान देना चाहती हूँ मैं,
इंसान हूँ, इंसान की ज़िंदगी जीना चाहती हूँ मैं
क्यों इतना दर्द सहना पड़ता है?
क्यों अपनी इच्छाओं को मारना पड़ता है?
क्यों कोई मेरी परवाह नहीं करता है?
हर कोई अपनी बात मनवाता है,
मेरी बात कोई क्यों नहीं सुनता है?
क्यों इतना दर्द सहना पड़ता है?