Thursday 26 March 2015

योगेश कुमार यदुवंशी-3

ये इश्क़ की अगन
ये इश्क़ की अगन लगे तो मोरा तन मन ही जल जाये,
जो तेरी लगन लगे तो मेरी सुधबुध ही खो जाये,
वो देश गया था पराए जो मुझको दिल से भुलाये,
फिर यादों ने जब जकडा वो दिल से मुझको बुलाये,
ये इश्क़ की अगन लगे तो मोरा तन मन ही जल जाये,
सांझ लगी कांटों सी, हवा भी दर्द को लाये,
जब बातें करती हैं रातें, सपनों में तू ही आये,
आँखों में आंसु रहते हैं जब नज़रों में तू छाये,
ये इश्क़ की अगन लगे तो मोरा तन मन ही जल जाये,
इस दिल का कतरा कतरा कहता तेरा पयार है मुझको पाना,
ना पाऊँ तुझे तो मर जाऊँ सांसो को अब ना रहना,
बिन तेरे क्या है जीना, जीना मुझको ना जीना,
ये इश्क़ की अगन लगे तो मोरा तन मन ही जल जाये,
जो तेरी लगन लगे तो मेरी सुधबुध ही खो जाये|


ये जान तेरे नाम करता हूँ
लाल गुलाब की क्या मजाल 
जो तुम्हारे सामने खिल जायें
तुम एक बार इशारा करदो
हम यहीं धूल हो जायें
झील सी गहरी नीली आँखें
मीठी मीठी मिश्री सी बातें 
लम्बे काले घनेरे बाल
हाय मतवारी तेरी चाल
अगर हो जाये कुछ गुस्ताखी
आज दे देना हमको माफी
जबसे तुमको देखा है
खुद से हुये बेगाने
तुम को बार बार सोचा है
तू माने या ना माने
आज मैं भी एक एलान करता हूँ
मैं ये जान तेरे नाम करता हूँ






भोली लड़की 
सीधा सादा भोला भाला,
मैं हूँ करियर पॉइंट का.
अरमान सजाये हैं मन में,
पूरा करने को यहाँ खड़ा!!
पर वो मेरे अरमानों को,
एक पल में डगमगा देती है.
मेरा जोश जुनून सब पढ़ने का,
वो एक चुटकी में हरा लेती है!!
मैं सोचा करता था अकसर,
वो शमां तो मैं हूँ परवाना.
मैं ही हूँ उसका दीवाना,
पर कुछ दिन पहले पता चला,
वो हर दिल की है दिलजाना
हर कोई उसका दीवाना!!
यारों सुन लो उसके कारण,
मेरे कई टॉपिक बर्बाद हुए.
लिमिट कंटिन्यूयिटी डूब गयी,
रिडॉक्स के पत्ते साफ हुये!!
सिक्वेन्स सीरीस सब हवा हुई,
जी ओ सी मुझसे खफ़ा हुई.
के टी जी मुझको सता रही,
रोलिंग क्या है कुछ पता नहीं!!
यारों टेन्षन मेरी तब बढ़ जाती है,
क्लास में जब वो आती है!! 
अब तुम सोच रहे होगे यारों,
कौन है इतनी प्यारी
लगती है इतनी न्यारी.
चंगुल में जिसके लोकेंद्र जाट है फंसा,
किस दलदल में लोकेंद्र जाट है धंसा.
तो सुन लो मेरे यारों
तुमको भी तड़पाती होगी,
दुनिया कहती है नींद जिसे
तुमको भी ना आती होगी!!





तेरी यादों में जीने लगी हूँ
तेरे गीतों को सुनने लगी हूँ
इस मीठी सी ठंड में आँखें नॅम होने लगी हैं
तेरी याद में नींदें खोने लगी लगी है
जब देखा दूर चमकते तारे को
उसकी चमक देख तेरी याद आई
जब देखा उपर खुले आसमान को
तेरी बाहों की याद आई.
जब बैठी नदी किनारे
बहते पानी में तू ही नज़र आया
फिर अपने आप से पूछ बैठी
क्या तुमने अपना प्यार पाया?
इस प्यार भरे लम्हे में खो गयी
ना जाने कब तेरे इतनी करीब हो गयी
तेरी ही बातें करने लगी हूँ
तुझे अपने गीतों में गुनगुनाने लगी हूँ
तेरी यादों में जीने लगी हूँ








सपना
आज उदास सी है सुबह,
पर पास कोई नहीं
इन चाय की चुस्कियों में
उनके साथ का वो स्वाद नहीं,
कितनी बेसुध सी लगती है ये ज़िंदगी
अब उनके बिना,
ये सोचता हूँ महसूस करता हूँ,
प्यार बढ़ता जाता है अपना
एक सपना आया मुझे
की वो चली गयी मुझे छोड़ के,
तब से मैने खाई कसम
गले लगाया उसे ज़ोर से
इस सपने ने मुझे जगाया
उसे खोने का एहसास दिलाया
शुकर गुज़र हूँ इस सपने का
ये मुझे उसके और करीब लाया





























दिल की कुछ बातें
दिल आज काल मेरी सुनता नहीं,
मैं क्या सोचूं वो मानता नहीं,
कुछ हो रहा है जानता नहीं,
क्या करूं मानता नहीं,
तेरी यादों में दिन रात खोता है,
ये दिल दीवाना पल पल होता है,
तुझे ही दिन रात हैं सोचते,
सुबह शाम करें तेरी बातें,
रातों में भी चैन नहीं,
आँखें मेरी तुझको ढूंडें ,
मन को भी है तू ही सुहाये,
दिल के जज़्बात तू जाने ना,
प्यार हो रहा है माने ना,
बस करती हूँ तेरी बातें,
तुझ बिन हर दिन भीगी हैं मेरी रातें,
देख मुझसे ना सही जायें अब ये दूरियां,
आजा मेरे दिल के पास,
तुझ बिन हो गयी मैं प्रेम दीवानी,
तुझ बिन मेरी अधूरी आस,
तू नहीं तो मैं मीन बिना पानी,
बस हर पल अधूरी मेरी आस,
बस हर पल अधूरी मेरी आस.
























हम यूं ही रहेंगे
वक़्त के दायरो में हम यूं ही पिघल जायेंगे,
दूर ही सही पर हर पल तुम्हें याद आयेंगे,
कभी वक़्त के पन्नों को पलट के आप सोचेंगे
मेरी लिखी हर कविता में खुद को आप पायेंगे,
मिले थे आप जिसे बन के अजनबी,
वही तो हैं हम जो दिल के पास हो जायेंगे,
हम तो हर वक़्त रहेंगे आपके साथ कविता बन के
वक़्त के साथ ना समझना हमें बेवफा,
जब भी बुलाओगे दिल से हमें
आपकी आँखों को छुपाये अपने हाथों से हम ही मुस्कुरायेंगे,
जब भी याद करोगे दिल से हमें
आँखों से आंसू बन के हम छलक जायेंगे