Thursday 9 April 2015

"पंक्तियां योगेश कुमार यदुवंशी".

पंक्तियां-

(1)खिजा का दोर, फिर से हुआ बहाल …
अपने जुल्मो से आ जाओ तुम बाज़ ।
ये दिल मुद्दतो से मुन्तजिर हैं तेरा....
अतराज़ क्या हैं तुझे, बस रसमें वफ़ा संभाल …!!!!
मेरी कहानी तो हैं बस दुःख दर्द की उदासी.....
यकीन हैं तुझको, तो मरहम निकाल …।
मेरा दिल तो टुटा हैं तेरे वादों के दर पर ….
अब तुझ्को लगा हैं, वो गहरा मलाल …!!!!!


(2) दुनिया छोड चले हम
दुनिया के पहरों को मै, गिरा के जाउँगा...
दरिया के पानी से मिट्टी चुरा के जाऊँगा...!
इन नकाबों ने छीन लिया है चैन मेरा...
वक्त मिले तो, इन गौरे गालो पे कालस लगा के जाऊँगा ..!!
वो जुल्फे लहराते हुए गुजर जाते है गली से मेरी...
वक्त मिले तो उनको भी इश्क मे उलझा के जाऊँगा..!!!
मेरे दुश्मनो से कहो कि मुझको भी अपना बना ले...
वक्त मिले तो उनको भी मोहब्बत सिखा के जाऊँगा...!!!!
ये सोचकर छोङ दी है मैने शायरी करनी....
इस दुनिया से जाते जाते, अपनी कलम को हंसा के जाऊँगा...!!!!

(3) हो शाम सुहानी रात सुहानी,
सुन ले कभी मेरी तु जुबानी..
याद सताये तेरी मुझे इतना,
आंखो से बहता नदीयों का पानी..
कहता हुं मै दिल की बात,
पर ना कर तु युं नादानी...
वफा का सिला हम क्या दे तुमको,
अब अपनी कुछ औकात नही..
आज है साथ यहां,
कल होगे हम भी साथ नही..
मै राजा तु रानी बनजा,
फिर चाहे किसी का साथ नही...
किसकी मजाल जो मूझे कहे दिवाना...
अगर तुमने कहा तो कोई बात नही...

(4) देखे है ख्बाब हमने भी, रातो को शंम्मा के जलने का...
तेरे हुश्न कि आग मे, खुद का पिघलने का...
सूरज कि तपन से, महसुस कुछ युं हुआ हमको...
तेरे चाँद से बदन पे, दाग का निखरने का...
उजङी रही महफिल, फिर भी सबरंता रहा मै..
हर हद तक इन्तजार किया, तेरे आने का..
ना तु आई, ना मेरे दर्पण मे तसवीर तेरी..
फिर खुद का भी इन्तजार किया, खुद का जलने का...


(5) दिल देता है दुहाई, तेरे नाम से....
सीने मे है जलन, अश्को के दाम से...!!!
गम ए दिल का मशवरा, सुन ले अ सनम...
ये दुनिया अब पुकारे मुझे, तेरे नाम से..!!!


(6)पैगाम हमारा उनको है, मोहब्बत के
ठेकेदारों को...
गजल मेरी वो सुनले जो, रहते है बीच
चोबारो को.....।।।।
पत्थर के मोती है वो ,
जो हीरो सा अभिमान रखे....
मात पिता को छोङकर, जो महबुब
का ध्यान रखे.....।।।।।


(7) उन बचपन के झरोखो में कुछ यादे पुरानी थी। ।
वो फटे लिबाश में झलकती जवानी थी। . ….
कुछ रोज हमको हँसना कुछ रोज हमको रोना। …
पर मात -पिता से हमको अपनी बात मनानी थी। …
जब आशिक हुए हम जब दीवाने हुए हम। …
फिर तो वो यादे बस आनी जानी थी …
उन बचपन के झरोखो में कुछ यादे पुरानी थी। ।


(8) उस काली काली रात में एक हल्का सा अहसास था ..
जब आंसू आये आँखों में तो, बादल भी मेरे साथ था। ।
जब होने लगा दिन, सूरज उग आया …
चन्दा के छिपने की वो काया …
जब फिक्र करे कम सुबह ओ शाम ….
होठो पर तेरा नाम था आया ….
जब हद हो गयी मैं दूर बहुत था ।
उस पल तेरे बिन हमको रहना न आया …
जो कसमे थी जीने मरने की ।
वो लिखा हुआ ख़त मैंने फिर पाया ,
जो लिखी हुई थी यादें ख़त में ,
उनको पढ़ कर मैं घबराया। …


(9) तोड़ कर जंज़ीर अब मुझको भी तू आज़ाद कर
सब कुछ हुआ अब राख है अब और न बरबाद कर
जो बेवजह हु दर पे तो मुझसे खुदा कहता है ये
जिसको हैं तुझसे रंजिशे उसकी न अब फ़रियाद कर
मेरा सलीका कुछ गलत मेरी मोहोब्बत नसमझ
इतनी शिकश्ता ज़िन्दगी बदले हो तुम बस दफ़्फ़ातन
इतनी भी रंजिश मत करो थोडा तकल्लुफ रहने दो
इतना परेशां खुद में हु अब और न नाशाद कर


(10) सारी रात बैठ के अपनी बर्बादी का अफसाना लिखा मैंने,
जब भी कलम उठाई खुद को ही दीवाना लिखा मैंने,
ये वादियाँ ये मंजर ये चाँद सितारे लगते है अपने से,
इन अपनों के बीच अपने ही दिल को बेगाना लिखा मैंने,
कभी साथ रहते थे मेरे वो साया बनकर,
आज उन्ही प्यार के लम्हों को बीता ज़माना लिखा मैंने,
वो मुझसे प्यार कर के भी रहते है गैरों के साथ में,
उनकी इस बेवफाई को भी मजबूरी का बहाना लिखा मैंने,
जब जल गए मेरे अरमान उसके पहलु में आकर,
तब उसको एक शमा और खुद को परवाना लिखा मैंने,
जब लगी हाथ मेरे मुकद्दर की कलम खुदा जानता है,
उसकी तकदीर में ज़माना और खुद के लिए वीराना लिखा मैंने।


(11) " इश्क में इसलिए भी धोखा
खानें लगें हैं लोग
:
:
दिल की जगह जिस्म को चाहनें
लगे हैं लोग....


(12) लुटा देते है एक ही शख्स पे
जिन्दगी अपनी
ऐसे लोग अब किताबो मे ही मिला करते है..


(13) कम से कम एक मुकदमा तो चलने दो उसके शहर में यारों.....,
इतना सुकून तो है कि हर तारीख पर
उसका दीदार तो हो जाता है....!!


(14) अगर आँखें पढ़ने का हुनर तुम में होता
तो मेरे मुस्कुराने की वजह ना पूछते...


(15) जज़्बात बहकते हैं, जब तुमसे मिलता हु,
अरमान मचलते हैं, जब तुमसे मिलता हु,
साथ हम दोनों का कोई बर्दाश्त नहीं करता,
सब हमसे जलते है, जब तुमसे मिलता हु,
आँखों से तुम न जाने क्या-क्या केह देती हो,
तूफ़ान सी चलती हैं, जब तुमसे मिलता हु,
हाथो से हाथ मिलते हैं, होठो से होठ,
दिल से दिल मिलते हैं, ख्वाबों में....
,जब तुमसे मिलता हु,
आहों में बीत जाती है तन्हाई की हर रात,
कई शिकवे दिल में रेह जाते हैं,
जब तुमसे मिलता हु,
करीब आने को जी चाहता है, जब तुमसे
मिलता हु !
तुम्हे पाने को जी चाहता है, जब तुमसे मिलता हु !!
डरता हु कही कोई चुरा न ले तुम्हे मुझसे ..
डरता हु कही कोई चुरा न ले तुम्हे मुझसे!!
तभी तो तुम्हे सिर्फ अपना बनाना चाहता हु!!
जब तुमसे मिलता हु ... जब तुमसे मिलता हु !!

Friday 3 April 2015

पागल लड़का

पागल लड़का
लड़की लड़के से आखरी बार मिलने आई
है..
वो लड़के से कहती है-
तुम मुझे भूल जाओ..
मैं अब किसी और की होने
जा रही हूँ..
कल मेरी शादी है..
लड़का चुपचाप उसे
देखता रहता है..
लड़की फिर कहती है-
कुछ बोलोगे नहीं..
लड़का मुस्कुराता है और कहता है-
"कोई तुमसे मेरा नाम जो ले कह देना पागल लड़का था,,
इस झूठी दुनिया में मुझसे, जो सच्ची मोहब्बत करता था,,
मेरे रूठने पे वो रो देता, मेरी डांट पे भी खुश हो लेता,,
जब सारे साथ छुड़ा लेते, चुपके से साथ वो हो लेता,,
हिम्मतवाला था यूँ तो पर, मुझको खोने से डरता था,,
कोई तुमसे मेरा नाम जो ले,कह देना पागल लड़का था,,
मुझसे मिलने की खातिर वो, बारिश में भीगकर आता था,,
जिस रोज मैं खाना न खाऊं,उस दिन उपवास मनाता था,,
कोई और नहीं था उसका बस, मुझसे ही जीता-मरता था,,
कोई तुमसे मेरा नाम जो ले,कह देना पागल लड़का था,,
गलती मेरी भी होने पर,माफ़ी की गुजारिश करता था,,
हर हाल में मैं हंसती जाऊं, इस कोशिश में बस रहता था,,
मैं कैसे उसकी हो जाऊं,हर पल ये सोचा करता था,,
कोई तुमसे मेरा नाम जो ले,कह देना पागल लड़का था,,
मेरे लाख मना करने पर भी, मेरा नाम जोर से लेता था,,
मेरी एक हंसी की खातिर वो, कुछ गाने भी गा देता था,,
मेरा हाथ पकड़ दुनिया से वो, लड़ने की बातें करता था,,
कोई तुमसे मेरा नाम जो ले,कह देना पागल लड़का था,,
मुझसे मिलने से पहले वो, दुनिया में बहुत अकेला था,,
जब पहली बार उसे देखा,चेहरे पे दर्द का मेला था,,
मेरे साथ में थी वो बात की वो, हरदम ही हँसता रहता था,,
कोई तुमसे मेरा नाम जो ले, कहदेना पागल लड़का था,,
जब नींद मुझे आ जाती थी,वो डांट के मुझे सुलाता था,,
अपनी पगलाई बातों से,अक्सर वो मुझे रुलाता था,,
उसका जीवन बिखरा था पर,मेरा ख़याल वो रखता था,,
कोई तुमसे मेरा नाम जो ले,कह देना पागल लड़का था,,
कुछ मजबूरी के चलते जब, मैंने उससे हाथ छुड़ाया था,,
उसने न कोई शिकायत की,बस धीरे से मुस्काया था,,
मेरी यादों में रातों में, उठ उठकर रोया करता था,,
कोई तुमसे मेरा नाम जो ले,कह देना पागल लड़का था,,
वो पागल लड़का तन्हा ही, मेरी यादों से लड़ता है,,
मेरे बिन जिंदा रहने की, नाकाम वो कोशिश करता है,,
वो आज भी मुझपे मरता है,वो कल भी मुझपे मरता था,,
कोई तुमसे मेरा नाम जो ले,कह देना पागल लड़का था.