Wednesday 20 August 2014

पहले प्यार का इंतज़ार

पहले प्यार का इंतज़ार
बीत गये दिन बीत गये लम्हे
बीत गये कई साल
पर मेरी यादों में बसते हैं अब भी तेरे खयाल
याद है मुझे वो तेरी मुलाक़ात
आया था अजनबी बनके
लगता था फिर भी अपना सा
रिश्ता ना था तुझसे कोई
फिर भी लगता था पहचाना सा
धीरे धीरे वो दो दिन की मुलाक़ात
दोस्ती में बदल गयी
पता ना था, तुझसे इतनी गहरी दोस्ती हो जायेगी
मेरे होठों की मुस्कुराहट बन गया था तू
लगा फिर से जीने ये मेरा दिल
जो कि जीना भूल गया था
शाम को जब छत पर जाती तो
बहती हवा में तू जैसे ज़ुल्फें बिखेर देता
और अपने होने का एहसास दिला देता
जब अपने आप को आईने में संवारती
तो शर्म सी आने लग जाती
होने लगा था मुझे एक अजीब सा एहसास
होने लगा था मुझे तुझसे प्यार
जब बताने आया ये दिल अपने दिल की बात
तो देखा किसी और को तेरे साथ
टूट गया मेरा दिल काँच की तरह
बिखर गये मेरे सपने रेत की तरह
दोस्ती का ये एहसास मिट सा गया
ये नाज़ुक दिल अब पत्थर का हो गया
करता था फिकर सबकी ये दिल
पर अब इस दिल में किसी के लिये जगह नहीं रही
जगह तो तेरी थी
पर तुझे उस जगह की कदर नहीं रही
तोडा है मेरा दिल तूने खिलौना समझ कर
दूसरे का दिल मत तोड़ना मेरा समझ कर
याद तो बहुत करती हूँ तुझे
खुद को रोक नहीं पाती हूँ
पर ये दिल रोक लेता है मुझे
क्योंकि इसे अब डर लगने लगा है दोबारा टूटने से
एक दूसरे को पहचानते खूब थे
मगर तेरा साथ ना मिला
तुझसे प्यार बहुत करती थी
मगर बताने का मौका ना मिला
दुआ करूँगी तेरी सलामती के लिये
जब तक जियूँगी तब तक
ये टूटा हुआ दिल तेरे आने का इंतज़ार करता रहेगा
तब तक ये दिल तुझसे यूँ ही प्यार करता रहेगा
यूँ ही प्यार करता रहेगा




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