Saturday 7 February 2015

पंक्तियां योगेश कुमार यदुवंशी

(1)तुझ से मोहब्बत तेरी औकात से बढ कर की थी
अब नफरत की बारी है तो सोंच तेरा क्या होगा...!!

(2)जब हम नही होंगे तो वफा कौन करेगा
ये हक मोहब्बत का अदा कौन करेगा...!!
या रब मेरे दुश्मन को रखना तु सलामत
वरना मेरे लिए मरने के दुआ कौन करेगा...!!

(3)कितनी झूठी है मोहब्बत की कसमे
देखो ना तुम भी जिन्दा हो मै भी जिन्दा हुँ... !!

(4)कोई नही आया है तेरे बाद मेरी जिन्दगी मे
मगर एक मौत ही है जिसका मै वादा नही करता...!!

(5)मगन था मै सब्जी मे नुक्स निकालने मे
और कोई खुदा से सूखी रोटी के लिए शुक्र मना रहा था...!!

(6)मुझे मालूम था के तुम मेरे हो नही सकते
मगर देखो मुझे फिर भी मोहब्बत हो गयी तुमसे....!!

(7)वो हमसे कहते है कि बदल गये हो तुम
उनसे जाकर कह दो
के टूटे पत्तो के रंग अकसर बदल ही जाते है..!!

(8)जबसे मुझे ये यकीन हो गया
के ऊपर वाला मेरे साथ है
मैने इस बात की परवाह करना छोड दिया
के कौन-कौन मेरे खिलाफ है ।।

(9)कभी मुस्कुराती आँखें भी कर देती हैं कई दर्द बयां,
हर बात को रोकर ही बताना जरूरी तो नहीं ......!!

(10)जिन राहो पे एक उमर तेरे साथ चला हुँ
अरसा हुआ वो रास्ते सुनसान बहुत है....!!
मिल जाओ कभी लौट के फिर आऊँ शायद
कमजोर हुँ मै राह मे तुफान बहुत है....!!
एक तुम ही नही मेरी जुदाई से परेशान
हम भी तो तेरी चाह मे विरान बहत है....!!
इस तर्क-ए-वफा पे मै उसे कैसे भुला दुँ
मुझ पर उस सख्स के अहसान बहुत है....!!
भर आऐ ना आँखे तो मै एक बात बताऊँ
अब दुनिया से जुदा होने के मेरे अरमान बहुत है...!!

(11)महोब्बत के रिश्तों के ये धागे कितने कच्चे हैं,
हम को अकेला ही रहने दो हम अकेले ही अच्छे हैं ||

(12)हादसे इंसान के संग, मसखरी करने लगे
लफ़्ज़ क़ागज़ पर उतर, जादूगरी करने लगे....
क़ामयाबी जिसने पाई, उनके घर तो बस गये
जिनके दिल टूटे वो आशिक़, शायरी करने लगे....!!

(13)अगर फुर्सत के लम्हों में मुझे याद करते
हो तो अब मत करना,
क्योंकि मैं तन्हा जरूर हूँ मगर 'फ़िज़ूल'
बिल्कुल नहीं...!!

(14)वो हैरान है मैरे सब्र पर तो कह दो उसे......
जो आँसू दामन पर नही गिरते
वो दिल मे गिरा करते है...!!!

(15)बात मुक्कदर पे आकर रूक गयी है वरना....
कोई कसर तो ना छोडी थी तुझे चाहने मे....!!!

(16)मै कोशिश तो बहुत करता हुँ उसको जान लूं.....
लेकिन वो मिलने पर बड़ी कारीगरी से बात करता है ।

(17)अब उसे न सोचू तो जिस्म टूटने लगता है.......
एक वक़्त गुजरा है
उसके नाम का नशा करते~करते...!!


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